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Viral Pic: लड़के ने ऑनलाइन मंगवाया सस्ता आईफोन, डिलीवरी के वक्त उड़ गए होश

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सस्ते के चक्कर में लोग क्या नहीं कर डालते। कई बार लोग सस्ते के चक्कर में ऑनलाइन ऑर्डर कर डालते हैं और फिर मिलता है धोखा। थाइलैंड के एक लड़के के साथ कुछ ऐसा ही हो गया जब उसने सस्ता आइफोन देखकर ऑनलाइन ऑर्डर दे दिया।

मामला थाईलैंड का है, यहां एक लड़के ने देखा कि ऑनलाइन शॉपिंग के एप पर सस्ता आइफोन मिल रहा है। ये काफी सस्ता था और आइफोन पाने की चाहत में लड़के ने बिना पूरी तरह जांचे परखे इस आइफोन को ऑर्डर दे दिया।

लेकिन, जब डिलीवरी हुई तो लड़का हैरान-परेशान हो गया। जो चीज उसने मंगवाई थी, वो नहीं थी। दरअसल आइफोन की जगह कंपनी ने आईफोन जैसा टेबल भेजा था। लड़का कंफ्यूज हुआ और पूछताछ की तो पता चला कि दरअसल आइफोन की टेबल ही बिक रही थी जिसे इस अंदाज में फोटो के साथ पेश किया गया था कि वो असल आईफोन लग रहा था।

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ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने के साथ बढ़ा जोखिम, सिर्फ 28% भारतीयों के पास सिक्योरिटी सॉल्यूशन: रिपोर्ट

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सर्वे के मुताबिक उपभोक्ता ऑनलाइन मंच पर खुद को पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं रख रहे हैं, क्योंकि केवल एक चौथाई यानि 27.5 प्रतिशत भारतीयों ने ही ऑनलाइन सिक्योरिटी सॉल्यूशन का इस्तेमाल किया है। जिससे बड़ी संख्या में भारतीय उपभोक्ता ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान जोखिम के दायरे में बने हुए हैं।

नई दिल्ली| कोविड-19 महामारी के चलते भारतीय उपभोक्ताओं में ऑनलाइन शॉपिंग करने की प्रवृत्ति में काफी इजाफा देखने को मिला है। कंप्यूटर सुरक्षा से संबंधित कंपनी मैक्एफी ने मंगलवार को कहा कि उनके द्वारा किए गए एक सर्वे में कोविड के शुरू होने के बाद से ऑनलाइन शॉपिंग में 68 फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला।

इस नतीजे से हालांकि यह भी पता चलता है कि उपभोक्ता ऑनलाइन मंच पर खुद को पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं रख रहे हैं, क्योंकि केवल एक चौथाई यानि 27.5 प्रतिशत भारतीयों ने ही ऑनलाइन सिक्योरिटी सॉल्यूशन का इस्तेमाल किया है। जिससे बड़ी संख्या में भारतीय उपभोक्ता ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान जोखिम के दायरे में बने हुए हैं।

‘2020 हॉलीडे सीजन: स्टेट ऑफ टूडेज डिजिटल ई-शॉपर’ इंडिया सर्वे के निष्कर्षो से पता चलता है कि आधे से अधिक भारतीयों को लगता है कि हॉलीडे सीजन के दौरान साइबर घपला होने की आशंका अधिक है, वहीं 42.3 फीसदी लोग छुट्टियों के दौरान ही शॉपिंग करने का प्लान बनाते हैं। मैक्एफी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजिंग डायरेक्टर वेंकट कृष्णापुर ने एक बयान में कहा, “शॉपिंग की इस प्रवृत्ति में आगे और इजाफा होगा, क्योंकि ग्राहक स्टोर में न जाकर ऑनलाइन शॉपिंग को वरीयता देने वाले हैं। ऑनलाइन पैसों के लेन-देन में वृद्धि को देखते हुए साइबर क्रिमिनल्स इसका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, ऐसे में जरूरी है कि यूजर्स संभावित खतरों के प्रति चौकन्ना रहें और छुट्टियों के इस मौसम में खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए जरूररी एहतियात बरतें।”

इससे पहले रिजर्व बैंक सहित कई अन्य संस्थान भी ऑनलाइन फ्रॉड बढ़ने की आशंका जता चुके हैं। रिजर्व बैंक लगातार लोगों से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के वक्त सतर्क रहने की सलाह जारी करता रहता है। हालांकि इन सबके बावजूद लगातार कार्ड क्लोनिंग, हैकिंग सहित ऑनलाइन फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं।

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amazon पर रिव्यू पढ़कर क्या आप भी करते हैं शॉपिंग, तो ये खबर आपके लिए है

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नई दिल्ली। क्या आप भी ऑनलाइन शॉपिंग करते समय प्रोडक्ट के रिव्यूज को पढ़कर फैसला लेते हैं कि यह प्रोडक्ट आपको खरीदना चाहिए या नहीं? अगर हां, तो यह खबर खासतौर से आपके लिए हैं। दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक ई-कॉमर्स वेबसाइट Amazon पर एक रिव्यू स्कैम चलाया जा रहा है। इस स्कैम की चपेट में अब तक 2 लाख से भी ज्यादा यूजर्स आ चुके हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है इस रिव्यू के तहत प्रोडक्ट के रिव्यू सेक्शन में फेक रिव्यू डाले जा रहे हैं।

सिक्योरिटी रिसर्चर सेफ्टी डिटेक्टिव्स ने इस स्कैम का खुलासा किया है। इस स्कैम के चलते Amazon का रिव्यू सेक्शन प्रभावित हुआ है। इससे किसी भी प्रोडक्ट की विजिबिलिटी बढ़ जाती है और इससे ज्यादा से ज्यादा यूजर्स उस प्रोडक्ट को खरीदने लगते हैं। जब भी किसी प्रोडक्ट के साथ फेक रिव्यू डाले जाते हैं तो उसकी यूजर रेटिंग बढ़ जाती है और वह प्रोडक्ट टॉप सजेशन में आने लगता है। इस स्कैम के तहत खराब प्रोडक्‍ट्स की रेटिंग को ज्यादा कर बेचा जा रहा है।

बता दें कि इसके लिए Amazon वेंडर रिव्यूअर्स को प्रोडक्ट की एक सूची भेजते हैं। फिर रिव्यूअर्स इन प्रोडक्ट को 5 रेटिंग देते हैं। ऐसा करने से ये प्रोडक्ट्स सजेशन लिस्ट में टॉप पर पहुंच जाते हैं। ऐसा करने के लिए रिव्यूअर को प्रोडक्ट रखने के साथ-साथ Amazon कंपनी पैसा भी उपलब्ध कराती है। सिक्योरिटी रिसर्चर को 1 मार्च 2021 का डाटा मिला है। इसमें करीब 7 जीबी डाटा यानी 13 मिलियन रिकॉर्ड मौजूद हैं। यह पासवर्ड प्रोटेक्टेड भी नहीं है। इस डाटा में ई-मेल एड्रेस के साथ-साथ उन वेंडर्स के WhatsApp और Telegram नंबर्स भी मौजूद हैं जो इस स्कैम का हिस्सा हैं।

हालांकि, अभी तक इस तरह के स्कैम से बचने के लिए Amazon की ओर से कोई भी दिशानिर्देश नहीं दिया गया है। लेकिन अगर ग्राहक थोड़ा ध्यान दें और कुछ टूल्स इस्तेमाल करें तो वह इस स्कैम से बच सकते हैं। इन टूल्स में ReviewMeta, Fakespot, The Review Index एक्सटेंशन या वेब का इस्तेमाल कर इस स्कैम से बचा जा सकता है।

कैसे करें इन टूल्स का इस्तेमाल:

इसके लिए आपको डेस्कटॉप क्रोम या फायर फॉक्स ब्राउजर में जाना होगा और फिर उपरोक्त में से किसी एक एक्सटेंशन को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद प्रोडक्ट पेज पर जाकर व्यू कर सकते हैं और उसके रिव्यू को चेक कर सकते हैं। अगर किसी प्रोडक्ट को ज्यादातर 5 स्टार दिए गए हैं तो उसे दोबारा चेक जरूर करें। फेक रिव्यू को आप रिपोर्ट भी कर सकते हैं।

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